• light air | |
मंद: languish sluggard Largo light lonesome phlegmatic | |
वायु: air gas Vayu weather wind ether land wind land | |
मंद वायु अंग्रेज़ी में
[ mamda vayu ]
मंद वायु उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- मंद वायु का आनंद ले रहे हैं।
- रात के भोजन इत्याईदि से निवृत्त् होकर रामजीदास शैया पर लेटे शीतल और मंद वायु का आनंद ले रहे हैं।
- शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है।
- उस दिन शीतल और मंद वायु प्रवाहित हो रही थी, वृक्ष और लताएँ रंग-बिरंगे पत्र-पुष्पों से झुकी जा रही थीं, तरह-तरह के पक्षी कलरव कर रहे थे।
- वसंत ऋतु को ' ऋतुराज ' कहा गया है जिसमें रंग बिरंगे फूल खिलते हैं तथा शीतल व मंद वायु बहती है, जिसमें सहज में ही प्रभु स्मरण द्वारा ध्यानावस्था में पहुंचा जा सकता है l
- परंतु जैसेविकास की दृष्टि से वृक्ष एक होने पर भी उसका आंधियों से लोहा लेने वाला तना, मंद वायु के सामने झुकने वाली शाखाएं, चिर चंचल पल्लव और झर-~ झर बरसने वालेफूल, सबका अपना-अपना विकास है, जैसे शरीर एक होने पर भी अंगों का गठन और विकासका एक रूप नहीं होता, वैसे ही मानव-संस्कृति एक होकर भी अनेक रूपात्मक ही रहेगी.
- चेतक-जैसे अश्वों ने भी क्षिप्र गति से शिथिल पड़ी मेरी नस-नाडी में जाने कैसी त्वरा भरी थी, मैंने जब भी चाहा उनकी करूँ सवारी, वे आँखों की ओट हो गए ; मैंने केहुनी मार पटखनी खुद को दे दी खोल लिए कुछ ग्रन्थ सामने डूबा दिए लम्हे-दर-लम्हे जीवन के क्षण सारे यूँ ही तीव्र हवा और मंद वायु के किये हवाले...!
- माँ येसी होती हैशीतल मंद मंद वायु की झोको सी कोमलसूरज की किरणों की तेजस ओजस सी मर्मंयेसी होती है माँझरनों की बहती कल कल फुहारों सी खिलातीवर्षा की झरनों की बूंदों की पीडा सी रोती दुखतीमाँ ऐसी होती हैअम्बर की न्यारी नीली खुली छत सी भारीऊँचे पर्वत की ऊँची चोटी से ऊँचीमाँ ऐसी होती हैनादिया की इतराती बलखाती पानी सी चंचलधरती चाहे कितनी हो सुखी जंजर मगर हरियाली है उनकी आचलमाँ ऐसी
- मैंने केहुनी मार पटखनी खुद को दे दी खोल लिए कुछ ग्रन्थ सामने डूबा दिए लम्हे-दर-लम्हे जीवन के क्षण सारे यूँ ही तीव्र हवा और मंद वायु के किये हवाले...! एक अदना-से ख़याल की मासूम घोड़ी, जो हमेशा मेरे जेहन में रहती थी; बहुत चंचल-चपल थी! रह-रह कर वह उधम मचाती और बिदक कर भागा करती-मेरे मन के इस कमरे से उस कमरे में! अपने मन के अवगुंठन में रहती थी वह-उसे किसी की चाह नहीं थी;